World AIDS Vaccine Day 2024: जब भी बात आती है जानलेवा बीमारियों की तो एचआईवी वायरस (एचआईवी वायरस) यानी एड्स की बीमारी का नाम सबसे पहले उठता है। वैज्ञानिकों ने कई प्रयास किए हैं, लेकिन आज तक जानलेवा एड्स से बचाव का टीका नहीं बना पाया है। एड्स के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और वैज्ञानिकों को उनके प्रयासों का समर्थन और प्रोत्साहन देने के लिए हर साल 18 मई को विश्व एड्स वैक्सीन डे मनाया जाता है।
एड्स के मरीजों की संख्या विश्वभर में बहुत अधिक है। यह एक वैश्विक महामारी के रूप में घोषित है, जिससे लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में लगभग 38.4 मिलियन लोग एचआईवी वायरस से प्रभावित हैं, और विशेष रूप से इस बीमारी के शिकार लोगों में से करीब दो-तिहाई अफ्रीकी देशों में निवास करते हैं। विश्वभर में हर सातवें व्यक्ति में से लगभग एक व्यक्ति एड्स के संक्रमित होने की संभावना है। जानकारी की कमी, संवेदनहीनता, बचाव के तरीकों की कमी, और इसके इलाज की कमी के कारण, यह बीमारी गंभीर रूप से फैल गई है।
एड्स वैक्सीन दिवस की शुरुआत 1998 में हुई थी, जब 18 मई को पहला एड्स डे मनाया गया था। इससे पहले इस दिन का महत्व महसूस किया गया था, जब मॉर्गन यूनिवर्सिटी में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भाषण के बाद 1997 में इसे आयोजित किया गया था। उन्होंने अपने भाषण में एड्स के खिलाफ टीका बनाने की जरूरत पर जोर दिया था, जिससे एड्स के खिलाफ लड़ाई में प्रोत्साहन मिला। उसके बाद, एड्स वैक्सीन के विकास पर वैज्ञानिक अनुसंधान और परीक्षणों को बढ़ावा देने के लिए इस दिन का चयन किया गया।
विश्व एड्स वैक्सीन दिवस का महत्व लोगों को एचआईवी के खिलाफ जागरूक करने के लिए है। यह खतरनाक बीमारी से लड़ने के लिए टीकाकरण के महत्व को स्थापित करता है। इस दिन का महत्व है क्योंकि यह एचआईवी वैक्सीन के विकास को बढ़ावा देता है। एचआईवी एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है, जिससे अब तक लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। इसलिए, इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसकी वैक्सीन को लेकर जागरूकता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है।
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