आजकल ट्विटर पर हिमाचल प्रदेश के मंडी से बॉलिवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के लोकसभा टिकट पर बहुत चर्चा हो रही है। इस आर्टिकल में हम आपको उन विवादों के बारे में नहीं बल्कि मंडी जिले के नाम के बारे में बताएंगे। इसके साथ ही हम आपको बताएंगे कि आखिर कब और कैसे मांडव नगर के नाम से जाना जाने वाला यह इलाका मंडी बन गया।

यह शहर हिमाचल प्रदेश की विशेषता है, जिसका इतिहास 13 सदियों से भी पुराना है। प्राचीनकाल में, इसे मांडव नगर के रूप में जाना जाता था, जबकि तिब्बती लोग इसे जहोर कहकर बुलाते थे। यहां का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। कहा जाता है कि महान संत मांडव ने ब्यास नदी के किनारे कोल्सरा नामक एक पत्थर पर तप किया था, जिसके बाद इस शहर को मांडव नगर का नाम मिला। बाद में, लोगों ने इसे मांडव से मंडी में बदल दिया।

आज का मंडी जिला दो राज्यों के एकीकृत होने से उत्पन्न हुआ है। इन दो राज्यों में सुकेत रियासत और मंडी रियासत शामिल थीं। सुकेत रियासत की स्थापना 765 ईसापूर्व में वीरसेन द्वारा की गई थी। वहीं, मंडी रियासत की स्थापना भी सुकेत राजवंश के राजा बाहुसेन द्वारा 1000 ईसापूर्व में की गई थी। बाद में, इन दो राज्यों के क्षेत्रों को एकीकृत करके मंडी नगर का गठन हुआ.

मंडी को हिमाचल की काशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां के लोग इसे छोटी काशी के नाम से भी जानते हैं। यहां के छोटे शहर में 81 हिंदू मंदिर होने के कारण इसे छोटी काशी के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, ब्यास नदी के किनारे स्थित पुराने मोहल्ले इसे बिल्कुल बनारस जैसी वातावरण देते हैं। अगर आप मंडी घूमने जाना चाहते हैं तो आपको इस शहर में कम से कम 10 दिन रुकने की सिफारिश की जाती है, क्योंकि कुछ दिनों में आपको मंडी की विशेषता समझने में समय लगेगा। यहां के विविधता और ऐतिहासिक महत्व को समझने के लिए थोड़ा समय निकालना बेहद उपयुक्त होगा।

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